माँ काली (MAA KAALI )




माँ काली कि सिद्धि करने वाले साधको ! माँ काली माँ दुर्गा का ही एक काला व डरावना रूप  है ! जिसकी उत्पति  राक्षसों को मारने के लिए हुई थी ! माँ काली को दस महाविदाओ में से प्रथम माना जाता है ! इस कलयुग में काली माँ को ही पूजनीय माना गया है ! माँ काली ही परमात्मा है ! जो अनेक रूपों को धारण करके, लीलाएँ करती रहती है ! माता रानी ही, इस संसार का पालन-पोषण करती है ! वो ही संहार करती है ! सम्पूर्ण संसार उन्ही में समाया है !
माँ काली जगतजननी है ! जो सम्पूर्ण संसार को धारण किये हुए है ! माता रानी का रूप बड़ा ही भयंकर और डरावना है ! जिसको देख कर ही राक्षसी सेना थर-थर कापने लगी थी !  जब भी भक्तो पर कोई संकट आया है ! तब-तब माँ काली ने, अपने भक्तो के संकट को दूर किया है ! माँ हमेशा बुराइयों का नाश करने के लिए ही अवतरित हुयीं है ! मगर वो अपने बच्चो से भी, अपार प्रेम करती है ! जिसने भी माँ का ध्यान किया ! उसके सभी संकट माँ काली दूर कर देती है ! जिसने भी, पवित्र मन में माता रानी कि मूरत बसा ली ! और सच्ची श्रद्दा से माँ के नाम का सिमरण कर लिया ! वो व्यक्ति हर प्रकार कि सुख-समृधि से सम्पन हो जाता है ! संसार में मान -सम्मान को प्राप्त करता हुआ ! दीर्घायु को प्राप्त करता है ! और पुत्र-पोत्रो का सुख भोगता है !  माता रानी जिससे भी खुश हो जाती है ! उस व्यक्ति पर अपना आशीर्वाद सदेव बनाये रखती है ! उस व्यक्ति के हर प्रकार के संकट को माँ दूर कर देती है ! माँ काल को भी खा जाने वाली है ! जिस पर जगत्जननी माँ काली कि कृपया दृष्टि हो जाती है ! उसको काल भी नहीं छु पाता  ! माता रानी कि महिमा ऐसी है कि वो अपने बच्चे कि एक पुकार सुन कर ही दौड़ी चली आती है ! मेरा अपना अनुभव कहता है कि माँ को प्रसन्न करना बहुत ही आसान है ! जिस प्रकार हमारी जननी ! हमें अपार प्रेम करती है ! हर पल हमारा साथ निभाती है ! अगर वो हम से एक पल के लिए रूठ भी जाये तो, पल भर में मान जाती है ! और हमें अपना आशीर्वाद देने के साथ-साथ, प्यार जताती है ! ढेर सारी दुवाये देती है ! उसी प्रकार जगत्जननी, माँ काली हमें अपार प्रेम करती है ! क्योकि वो ही इस संसार को चलाने वाली है ! वो हम सब कि माँ है ! और एक माँ कभी भी अपने बच्चो से रुष्ट नहीं रहती ! एक माँ तो अपने बच्चो से प्रेम करती है ! उनकी आँखों के आंसूओं को पोछती है ! उनको अपना आशीर्वाद देती है ! यही सब जगत्जननी माँ काली करती है !

माँ काली का रूप !

माता रानी का भयंकर काला रूप है ! बड़ी-बड़ी लाल –लाल आंखे, मुख से लम्बी जिव्हा बाहर निकाल राखी है ! गले में नरमुंडो कि माला, कानो में बाली कि जगह शिशुओं का सर, बड़े-बड़े स्तन, कटे हुए हाथो का आसन धारण कर रखा है ! माता रानी के एक हाथ में त्रिशुल, दुसरे में खड़क, तीसरे हाथ में राक्षस का धड  तथा चौथे हाथ में खप्पर पकड़ रखा है !माता रानी का ऐसा रूप देख कर, बहुत सी राक्षस सेना कि ह्र्दय गति रुक जाती है ! सच्चे भक्तो के भय का नाश हो जाता है ! माँ काली का भयंकर काला रूप देख, काल भी भय खाता है ! माँ के तीनो नेत्र, सूर्य, चंद्रमा और अग्नि का प्रतीक है ! माँ ने अपनी जिव्हा को दांतों में दबा रखा है ! जो सन्देश देता है कि मनुष्य को अपनी जिव्हा को अपने काबू में रखना चाहियें ! माँ के बड़े-बड़े स्तन, संसार का पालन-पोषण करते है ! माता रानी के कानो में बालकों के सर, सन्देश देते है कि जो भक्त एक बच्चा बन कर ,माँ को पुकारता है, उसी भक्त कि माँ आवाज सुनती है और वही भक्त माँ के कानो के पास रहता है ! माँ अपने हाथो में लिए हुए, खड़क और त्रिशुल से अपने भक्तो कि रक्षा करती है ! माता रानी का निवास श्मशान में है ! यहाँ श्मशान से मतलब है कि, जगत्जननी, उसी ह्रदय में निवास करती है ! जिस ह्रदय को श्मशान बना लिया जाता है ! श्मशान वही ह्रदय होता है ! जिसमे से काम, क्रोध, द्वेष, भेद-भाव, इर्ष्या और लोभ-लालच को खत्म कर दिया जाता है ! अत: माँ कि कृप्या-दृष्टी पाने के लिए, अपने मन को श्मशान के समान बना लेना होगा ! अपने-आप को माँ का भक्त कहने वाले, कुछ व्यक्ति  ! माता को किसी जीव कि बलि देने को उचितं बताते है ! वे अन्य मनुष्यों में भय भर देते है कि माँ काली तो बलि से ही प्रसन्न होती है ! लेकिन मे समझ नहीं पा रहा हु ! कि भला कोई माँ अपने बच्चें कि बलि पा कर कैसे खुश हो सकती है ! क्या कभी कोई माँ अपने बच्चे को मरता हुआ देख सकती है ! नहीं भक्तो माँ कभी भी बलि से प्रसन्न नहीं होती ! माँ तो प्रसन्न होती है सच्ची भक्ति से, किसी का दिल न दुखाने से, जरुरत मंदों कि मदत करने से , अपने मन को श्मशान के समान बनाने से ! जो व्यक्ति बलि के नाम पर किसी जीव कि हत्या करता है ! उसको जीवन में उसका दंड अवश्य भुगतना पड़ता है ! अगर माँ को बलि देनी है तो बलि दो – अपने अहंकार की, अपने अन्दर के राक्षस की ! फिर देखना भक्तो कैसे मैया रानी, आपके सर पर , अपना आशीर्वाद भरा हाथ रखती है ! अपने विचारो को यही आराम देता हु !

जय गुरु देव ! जय महा काली ! जय जगत्जननी !

नोट- हम किसी भी विषय पर वाद-विवाद नहीं करना चाहते ! यहाँ जो भी लिखा है वो गुरु देव से प्राप्त आशीर्वाद और खुद के अनुभव व विचारो  से लिखा है ! हर किसी का अनुभव व विचार अलग-अलग हो सकते है !

1 comment:

मिलिंद said...

लेकिन कोई ऐसी साधना है की बिना गुरू के सम्पन्न की जा सके और दारिद्रता से पिछा छूटे . मेरा मन भी बहोत कहता है की काली माँ की साधना करू लेकिन बिना गुरू दीक्षा नही कर सकते ना ? काली सहस्त्र नाम कैसे रहेंगा ? पाठ कर सकता हूं क्या ? मार्गदर्शन करे.💐💐💐