देवी महात्म्य अर्थात दुर्गासप्तशती !



         मार्कण्डेय पुराण में वर्णित देवी महात्म्य अर्थात दुर्गासप्तशती
                       
                       
               
मार्कण्डेय पुराण में वर्णित देवी महात्म्य अर्थात दुर्गासप्तशती के आठवे अध्याय के अनुसार श्री काली  देवी की उत्पति जगत्जननी अम्बिका के ललाट से हुई है ! 
जिसकी कथा इस प्रकार है :

पंचांग

हमारे जीवन में शुभ और अशुभ समय का बहुत महत्व होता है ! यदि हम कोई भी कार्य शुभ समय अनुसार करते है तो उस कार्य के सफल होने में सहायता मिलती है ! इसके विपरीत यदि वही कार्य अशुभ समय में किया जाए ! तो हमको सफलता मिलने में कठनाई का सामना करना पड़ता !
इसलिए हिन्दू धर्म में पंचांग का बहुत महत्व है ! शुभ और अशुभ समय को देखने के लिये ! हमारे पास पंचांग होना जरुरी है

रोगों का सरल इलाज़

 दैनिक रोगों का सरल इलाज़
 आप देखते हो की कभी-कभी हमारे शरीर में अचानक से कोई परेशानी हो जाती है ! कई बार हम तुरन्त किसी डॉक्टर के पास जाने में भी असमर्थ होते है ! इन्ही सब समस्याओ के लिये हम आपके लिये छोटी-छोटी, मगर बहुत महतवपूर्ण जानकारी ले कर आये है ! आईये जानते है आयुर्वेद में वर्णित उन अनमोल बातो को !


शनि देव को जब बनना पड़ा स्त्री !

                                                                 कष्टभंजन हनुमानजी

क्या आप जानते है की एक बार शनि देव को हनुमान जी के क्रोध से बचने के लिए स्त्री बनाना पड़ा था ! गुजरात में भावनगर के सारंगपुर में हनुमान जी का एक प्राचीन मंदिर है ! जिसको  कष्टभंजन हनुमानजी के नाम से जाना जाता है ! इस मंदिर की विशेषता यह है की इस मंदिर में हनुमान जी के पैरों में स्त्री रूप में शनि देव बैठे है।  सभी जानते है हनुमान जी स्त्री को विशेष आदर -सम्मान देते है ! इसलिए ही हनुमान के क्रोध से बचने के लिए शनि देव ने एक स्त्री का रूप धारण कर लिया था !

हनुमान विवाह

The Temple Of Hanumanji With Wife In Khammam District


हनुमान जी बाल ब्रह्मचारी कहा जाता है. मगर भारत के कुछ हिस्सों में, हनुमान जी को विवाहित मन जाता है! विशेष कर तेलंगाना !  वहाँ की मानताओ के अनुसार , हनुमान जी की पत्नी का नाम  सुवर्चला था ! वह सूर्य देव की पुत्री थी ! पराशर सहित में , हनुमान जी की शादी का वर्णन मिलता है !

दैवीय चमत्कार- वैज्ञानिक भी हैरान !

 दैवीय चमत्कार- 50 लाख लीटर पानी से भी नहीं भरा शीतला माता के मंदिर में स्तिथ ये छोटा सा घडा़, वैज्ञानिक भी हैरान


राजस्थान के पाली जिले में हर साल, सैकड़ों साल पुराना इतिहास और चमत्कार दोहराया जाता है। शीतला माता के मंदिर में स्तिथ आधा फीट गहरा और इतना ही चौड़ा घड़ा श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ के लिए खोला जाता है।करीब 800 साल से लगातार साल में केवल दो बार ये घड़ा सामने लाया जाता है। अब तक इसमें 50 लाख लीटर से ज्यादा पानी भरा जा चुका है। इसको लेकर मान्यता है कि इसमें कितना भी पानी डाला जाए, ये कभी भरता नहीं है। ऐसी भी मान्यता है कि इसका पानी राक्षस पीता है, जिसके चलते ये पानी से कभी नहीं भर पाता है। दिलचस्प है कि वैज्ञानिक भी अब तक इसका कारण नहीं पता कर पाए हैं।

जंजीर मंत्र

हनुमान मंत्र


मनुष्य शारीरिक, मानसिक और बाहरी (भू‍त-प्रेत) नजर इत्यादि बीमारियों से परेशान रहता है। शारीरिक बीमारी के लिए डॉक्टर या वैद्य के पास जाकर मनुष्य ठ‍ीक हो जाता है। मानसिक बीमारी का सरलत‍म उपाय हो जाता है। परंतु मनुष्य जब भूत-प्रेत अथवा नजर, हाय या किसी दुष्ट आत्मा के जाल में फंस जाता है तब वह परेशान हो जाता है।

कुत्ता तीन दिन से लगा रहा है बजरंगबली की परिक्रमा


    कुत्ता तीन दिन से लगा रहा है बजरंगबली की परिक्रमा 



मुड़ागांव स्थित बजरंगबली-श्रीजानकी मंदिर में पिछले तीन से गांव का एक कुत्ता चक्कर लगा रहा है। कुत्ते के चक्कर लगाने की खबर के बाद ग्रामीणों ने सोचा कि कुत्ता मंदिर के पास घूम रहा होगा, लेकिन जब वह लगातार कई घंटे तक मंदिर की परिक्रमा करने लगा तो लोग भी इसे आश्चर्यचकित होकर देखने लगे।

भगवान श्रीकृष्ण के पुत्रों के नाम

भगवान श्रीकृष्ण के पुत्रों के नाम

पश्‍चिमी जगत के शोधकर्ता आजकल भगवान श्रीकृष्ण को एलियन घोषित करने में लगे हैं। वे उन्हें अवतारी या मानव मानने को तैयार नहीं है। कारण सीधा-सा है कि श्रीकृष्ण समूचे पश्‍चिमी धर्म के लिए चुनौती है। इससे पहले उन्होंने श्रीकृष्ण को वेदव्यास द्वारा लिखे गए महाभारत नामक काव्य उपन्यास का काल्पनिक या  मिथकीय पात्र घोषित करने का प्रयास किया था। उन्हीं का अनुसरण करते हुए हमारे यहां भी कुछ धार्मिक संगठन और कुछ तथाकथित धर्मनिरपेक्ष बुद्धिजीवी भी ऐसा ही दुष्प्रचार करते हैं। खैर...।
krishna
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हम बताना चाहते हैं कि श्रीकृष्ण एक साधरण मानव थे, लेकिन वे अपनी यौगिक साधना और क्षमता से असाधारण मानव बन गए थे। उनमें दिव्य शक्तियां थीं और उन पर परमेश्वर की कृपा थी। उनको परशुराम ने सुदर्शन चक्र दिया था और उनकी कई देवी और देवताओं ने सहायता की थी। उन्होंने अन्याय के खिलाफ काम किया और धर्म तथा राज्य को एक नई व्यवस्था दी। महाभारत युद्ध के पश्‍चात्य वे 35 वर्षों तक जिंदा रहे और द्वारिका में अपनी आठ पत्नियों के साथ सुख पूर्वक जीवन व्यतीत किया। यहां प्रस्तुत है उनकी प्रत्येक पत्नी से उत्पन्न हुए 80 संतानों के नाम। हालांकि संतानें तो उनकी और भी थीं।